Saturday, December 25, 2010

कविता : उम्रकैद

उम्रकैद
एक सजा है ! सच
मुझे उम्मीद थी
कि मुझे सजा होगी
मैं जानता था
बहुत पहले से
कि ऐसा हो सकता है
क्यों, क्योंकि मैं
अपने देश के हालात को
आज-कल से नहीं
वरन सालों से जानता हूँ !

आये दिन लूट, ह्त्या
छेड़छाड़, बलात्कार
भ्रष्टाचार, घोटाले
जैसी गंभीर वारदातें
खुलेआम होती हैं
और अपराधी
खुल्लम-खुल्ला घूमते हैं
अब उनका क्या दोष !
वे पकड़ में नहीं आते
और यदि पकड़ आते भी हैं
तो उन्हें कोई सजा
पता नहीं, क्यों नहीं होती !

पर मुझे पता था
कि मुझे सजा जरुर होगी
होनी ही चाहिए
क्यों, क्योंकि मैं
लड़ता रहा हूँ
लड़ रहा हूँ अन्याय से !
चलो ठीक ही हुआ
कौन चाहता, कौन चाहेगा
मेरा स्वछंद रहना !

मेरी बातें, आवाजें
डरावनी सी हैं
जो बेचैन करती हैं
कुछेक कानों को
कम से कम अब उन्हें
सुकून रहेगा
मेरे कालकोठरी में रहने से
पर कुछ, दुखी जरुर होंगे
उनका दुख, अब क्या कहूं
पर मुझे कोई दुख
अफसोस नहीं है
उम्रकैद से !!

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