नया साल है
बहुत मारा-मारी है
क्या करें
कुछ समझ नहीं आता
एक मित्र
कह रहा है चलो
जंगल चलते हैं
पी-खा कर आयेंगे
खूब मौज-मस्ती
जी भर
नांचेंगे-गायेंगे
जाम से जाम
लड़ाएँगे, छक कर
आकर सो जायेंगे !
दूसरा मित्र
बाहर गाडी में
इंतज़ार कर रहा है
कह रहा है
नया साल है
लांग ड्राइव पर
निकल चलते हैं
खूब छककर
जी भर के
खायेंगे-पियेंगे
गिले-सिकबे
भूल-भाल कर
पीना-खाना
छोड़-छाड़ कर
कल से एक
नया जीवन जियेंगे !
एक और मित्र
बहुत व्याकुल-बेचैन
है कल से
कहता है यार
बहुत हो गया
सादा-सादा जीवन
चलो कुछ
माल-टाल लेकर
फ़ार्म हाऊस
निकल चलते हैं
खूब रंग-रलियाँ
कूदा-कादी करेंगे
छक छक कर
मौज-मस्ती करेंगे
कल नया साल है
कल का कल देखेंगे !
क्या करें
किसकी सुनें
समझ नहीं आता
नया साल आ रहा है
या साल जा रहा है
स्वागत करना है
या विदा करना है
दुविधा की घड़ी है
क्या छोड़ना है
क्या प्रण करना है
अब आप ही कुछ
बताओ, सुझाओ, समझाओ
ये कैसा नया साल है !!
2 comments:
सब की सुनी
मन का किया
यूँ नए साल में
आगमन किया।
सटीक,
विदा करीये जी
आने वाले के साथ तो जीना ही है
नये साल की हार्दीक शुभकामनाए...
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