तीन खड़े हैं, तीन बढे हैं
तीन कर रहे मौज हैं यारा !
कौन कह रहा, कौन सुन रहा
एक गूंगा, एक बहरा है !
गूंगा भी खामोश खडा है
और बहरा भी ताक रहा है !
और एक खडा मौन हुआ है
वो तो बिलकुल अंधा है !
गूंगे-बहरों-अंधों ने मिलकर
देश का बेडागर्क किया है !
कुछ तो जय जय कार हो रहे
और कुछ जय जय कार कर रहे !
देश के तीनों बन्दर देखो
मौज-मजे में चूर हो रहे !
बहरा हाथ में लाठी लेकर
जनता को फटकार रहा है !
और गूंगे की मौज हुई है
वो सत्ता में चूर हुआ है !
अब अंधों की क्या बोलें हम
गूंगे-बहरों को खूब मजे से हांक रहे हैं !
गूंगे-बहरे-अंधे मिलकर
देश का बेडागर्क कर रहे !
है कोई जो अब इन तीनों को
जंजीरों में बाँध सके, वरना !
वरना अब क्या बोलें हम
लोकतंत्र है, लोकतंत्र है !!!
तीन कर रहे मौज हैं यारा !
कौन कह रहा, कौन सुन रहा
एक गूंगा, एक बहरा है !
गूंगा भी खामोश खडा है
और बहरा भी ताक रहा है !
और एक खडा मौन हुआ है
वो तो बिलकुल अंधा है !
गूंगे-बहरों-अंधों ने मिलकर
देश का बेडागर्क किया है !
कुछ तो जय जय कार हो रहे
और कुछ जय जय कार कर रहे !
देश के तीनों बन्दर देखो
मौज-मजे में चूर हो रहे !
बहरा हाथ में लाठी लेकर
जनता को फटकार रहा है !
और गूंगे की मौज हुई है
वो सत्ता में चूर हुआ है !
अब अंधों की क्या बोलें हम
गूंगे-बहरों को खूब मजे से हांक रहे हैं !
गूंगे-बहरे-अंधे मिलकर
देश का बेडागर्क कर रहे !
है कोई जो अब इन तीनों को
जंजीरों में बाँध सके, वरना !
वरना अब क्या बोलें हम
लोकतंत्र है, लोकतंत्र है !!!
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