Wednesday, February 2, 2011

हाईप्रोफाइल लाईफ !

राहुल, तुम क्यूट हो, सुन्दर हो
हाँ, जानती हूँ, तुम मुझसे प्यार
अनजाने में, प्यार, करने लगे हो
पर तुम, शायद, मुझे, मेरे बारे में
अनजान हो, पता नहीं है तुमको
मैं कौन हूँ, कैसा जीवन है मेरा
शायद, कुछ भी नहीं जानते
जानते हो, तो सिर्फ, मेरा रंग-रूप
शान-शौकत, हाईप्रोफाइल लाईफ !

सच ! तुम, कुछ भी नहीं जानते
या फिर, चाहत के अंधेपन में
कुछ जानना ही नहीं चाहते
मैं देख रही हूँ, तुम कई महीनों से
मेरे इर्द-गिर्द हो, उत्सुक हो
मुझे आभास है, तुम्हें, मेरे जिस्म
की भूख, भी नहीं है, तुम्हारा प्यार !

उफ़ ! आओ, मेरे पास बैठो, सुनो
इस शहर में, जीवन नहीं है
भावनाएं, जज्बात, इच्छाएं,
यहाँ, एक अलग ही दस्तूर है
हैं तो सब, पर नहीं भी हैं
मेरी सैलरी, बीस हजार, और खर्च
शायद, पचास हजार से भी ज्यादा हो
कैसे जीती हूँ, क्या करती हूँ
तुम्हें कुछ पता नहीं है, फिर भी तुम !

ये गाडी, जिसका खर्च, पंद्रह हजार
ये फ़्लैट, खर्च, बीस हजार
मोबाइल, कपडे, होटलिंग, बगैरह
ये सब आसान, सरल नहीं है
एक सौदा है जिन्दगी, समझौता है
गाडी के एबज में, बॉस के साथ
महीने में तीन-चार रातें, टूर पर
फ़्लैट के एबज में, एक व्यापारी मित्र
महीने-दो महीने में, दो-तीन दिन
आता, साथ रहता, फिर चला जाता !
इन सब में, उनका कोई जोर नहीं
मेरी मजबूरी भी नहीं, मात्र समझौता है
जिन्दगी की रेस में, दौड़ है मेरी
कम्प्रोमाइस, एडजस्टमेंट, तालमेल
यही हाईप्रोफाइल लाईफ है !

ये सब जानकर भी, तुम, मुझसे, प्यार
सुनो, सोच, समझकर, पंद्रह दिन बाद
यदि, तुम, फिर भी चाहोगे, मुझे
तो मेरी, हाँ, होगी, जैसा तुम चाहोगे
तुम्हारे अनुरूप ढल जाऊंगी
लेकिन, मुझे, तुम्हारे
प्यार, उत्तर, हाँ, का जवाब
आज नहीं, पंद्रह दिन बाद चाहिए
ताकि तुम्हें कोई, गलतफहमी रहे ... !!

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