होली आई, आई होली
लेकर आई, खुशियां होली
रंग-गुलाल, छेड-छाड
गली-चौबारे, घर-आंगन
गुजिया-सलोनी, लडडू-पेडे
मौज-मस्ती, हंसी-ठिठौली
बूढे-बच्चे, नौकर-मालिक
साहब-बाबू, गुरु-चेले
महिला-पुरुष, दोस्त-दुश्मन
खेल रहे हैं, मिलकर होली
आन-मान-शान, तिरंगा है पहचान
न जात- न धर्म, रंग हैं ईमान
न तेरा- न मेरा, रंगों का है मेला
न गोरा- न काला, होली है पर्व निराला
होली आई, आई होली
लेकर आई, खुशियां होली ।
लेकर आई, खुशियां होली
रंग-गुलाल, छेड-छाड
गली-चौबारे, घर-आंगन
गुजिया-सलोनी, लडडू-पेडे
मौज-मस्ती, हंसी-ठिठौली
बूढे-बच्चे, नौकर-मालिक
साहब-बाबू, गुरु-चेले
महिला-पुरुष, दोस्त-दुश्मन
खेल रहे हैं, मिलकर होली
आन-मान-शान, तिरंगा है पहचान
न जात- न धर्म, रंग हैं ईमान
न तेरा- न मेरा, रंगों का है मेला
न गोरा- न काला, होली है पर्व निराला
होली आई, आई होली
लेकर आई, खुशियां होली ।
1 comment:
होली आई, होली आई ऐसी बहुत सी कवितायेँ सुनी थी मगर ये उनसे बिलकुल ही अलग है। लिखने के लिए धन्यवाद।
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