Wednesday, February 9, 2011

मंजिल !

अगर चाहोगे
मुश्किलें हट जायेंगी
हौसला है लडने का
हर जंग जीत जाओगे

मत देखो पहाडी को
कदम बढाओगे
चोटी पर पहुंच जाओगे

हौसला है मजबूत
आग के दरिया को
तैर कर निकल जाओगे

गर डर गये काटों से
तो फ़ूल कहां से पाओगे
चाह बनेगी दिल में
तो राह मिल जायेगी

मत रुको डर कर
मत रुको थक कर
चलते चलो, बढते चलो
"मंजिल" को पा जाओगे
अगर चाहोगे ........... ।

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