Wednesday, March 16, 2011

चमचागिरी !!

एक दिन अचानक कप्तान साहब गुस्से-गुस्से में सरप्राईस चेक हेतु एक थाने में गुस गये और "सरप्राईस चेकिंग" करने लगे, थानेदार भौंचक्का रह गया ... सोचने लगा आज तो नौकरी गई ... फ़ाईल-पे-फ़ाईल ... पेंडिग-पे-पेंडिग ... शिकायत-पे-शिकायत ... कप्तान साहब भडकने लगे ... किसने तुझे थानेदार बना दिया ... क्या हाल कर रक्खा है थाने का ... कुछ काम नहीं करता है .... स्टेनो को आदेश देते हुये इसका सस्पेंशन आर्डर कल सुबह ११ बजे मेरी टेबल पर होना चाहिये ... गुस्से में उठने लगे ... तभी थानेदार ने सीधे पैर पकड लिये ... माफ़ करो हुजूर आपका बच्चा हूं ... आईंदा से ऎसी गल्ती नहीं होगी ... पैर छोड ही नहीं रहा था ...तब कप्तान साहब गुस्से में दूसरे पैर से एक लात उसके पिछवाडे में जडते हुये चिल्लाये छोडो पैर को ... थानेदार उचट के गिर पडा ... थानेदार संभल कर खडा हुआ ... कप्तान साहब जाने लगे और गाडी में बैठ गये ... थानेदार ने सल्यूट मार कर विदा किया ...

... थानेदार वापस आकर अपने चैंबर में सिर पकड कर बैठ गया सोचने लगा आज तो नौकरी गई कल सुबह सस्पेंड हो जाऊंगा ... सारे स्टाफ़ को सामने बुला कर भडकने लगा तुम लोग कुछ काम-काज करते नहीं हो, तुम्हारी बजह से आज मेरी बैंड बज गई और कल सुबह सस्पेंड होना भी तय है ... मुंह लगा एक मुंशी बोला साहब - कल सुबह सीधे कप्तान साहब के बंगले पर पहुंच जाओ, पैर पकड लेना साहब और मैमसाहब दोनों के, कुछ दुखडा-सुखडा सुना देना ... थानेदार रात भर करवट बदल-बदल कर उपाय सोचने लगा ... उपाय भी मिल गया ...

... दूसरे दिन सुबह साढे-नौ बजे कप्तान साहब के बंगले पर ... साहब के पैर पडे, मैमसाहब के पैर पडे और मिठाई का डिब्बा भेंट करने लगा ... कप्तान साहब गुस्से में ... क्या है, क्यों आया है ... हुजूर माई-बाप आपका आशिर्वाद लेने आया हूं ... पिछले चार-पांच साल से कमर दर्द से परेशान था अच्छे-से-अच्छे डाक्टर को दिखाया ठीक ही नहीं हो रही थी ... कल आपने जो लात मारी, उससे तो "चमत्कार" ही हो गया हुजूर कमर का दर्द रफ़ू-चक्कर हो गया ... आपने मुझे नया जीवन दिया है ... अब मैं सारा जीवन आपकी सेवा में गुजारना चाहता हूं ... चल - चल बहुत हो गया, इस बार तो तुझे माफ़ कर देता हूं ... जा अच्छे से काम करना ... जी माई-बाप !!!

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