Saturday, June 25, 2011

दो-दो हांथ !

लोकपाल के मसले पर,
क्यों तलवारें खिंच जाती हैं

है, जब भ्रष्टाचार मिटाना मकसद
फिर क्यूं, तकरारें बढ़ जाती हैं

सरकारें तो, बनती-मिटती हैं
मिटाना, भ्रष्टाचार जरुरी है

आज मिटा लो, तो अच्छा है
वरना, कल खुद मिट जाओगे

फिर चीखोगे, या चिल्लाओगे
होगा, कोई सुनने राजी

आज मिला है मौक़ा सब को
भ्रष्टाचार से लड़-भिड़ जाओ

भ्रष्ट तंत्र से, भ्रष्टाचार से
दो-दो हांथ सभी आजमाओ !!

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