Tuesday, July 26, 2011

इंकलाबी

सच ! मैं बन गया हूँ
मील का पत्थर
 
कोई राहगीर ढूँढता हूँ !

सजा लिए हैं, अरमां
दिलों
में

कोई दिलदार ढूँढता हूँ !

लुट रहा है, लूट रहे हैं
देश, भ्रष्टाचारी
कोई सशक्त क़ानून ढूँढता हूँ !

कब्रिस्तान न बन जाए, जमीं मेरी
अलख जगाने
सिर पे कफ़न बांध घूमता हूँ !

हूँ मैं तो खडा, बन इंकलाबी
सफ़र में
गांधी, सुभाष, आजाद, ढूँढता हूँ !!

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