Sunday, August 21, 2011

एक नई इंकलाबी चाहिए

बन गए हैं आज हम, आग के शोले 'उदय'
ये खबर, हर सख्त से भी सख्त इंसा तक पहुँचनी चाहिए !!

बात अब नहीं रह गई, तेरे-मेरे घर की 'उदय'
चंहू ओर मंजर हुआ है खौफ का, सिस्टम बदलना चाहिए !!

लड़ने को तो लड़ ही लेंगे, देश के गद्दारों-मौक़ापरस्तों से
पर आज भ्रष्ट-मंसूबों की होली जलनी चाहिए !!

कर रहे जो फक्र खुद पर, बैठ कांच के महलों में रोज
आज उनके नापाक इरादे चकना-चूर होने चाहिए !!

हो रहा है नाज जिनको, अपनी झूठी-सच्ची जीत पर
आज उनकी सूरतें-सीरतें बदलनी चाहिए !!

कैंसे करें अब गर्व हम, अपने ही लोगों पर 'उदय'
जो बन गए रक्षक से भक्षक, उन्हें सबक मिलना चाहिए !!

बद से बदतर हुए, हालात मेरे मुल्क के
आज मेरे मुल्क में, एक नई इंकलाबी चाहिए !!

जिन्हें गुमां हुआ है अपनी सख्त दीवारों-खम्बों पर 'उदय'
आज उसी हवेली की बुनियाद हिलनी चाहिए !!

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