Saturday, October 15, 2011

... जी चाहे है, मुहब्बत कर लें !

उफ़ ! अच्छी बात है, दोपहर होते होते, हम जाग रहे हैं
फिर भले चाहे, जो मन में आए, आंकलन लगा रहे हैं !
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सच ! आज हम एक हुनर को देख के दंग रह गए
कमाल है, जूते उठाते उठाते लोग, मंत्री बन गए !
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चेलागिरी अपने आप में एक हुनर है 'उदय'
सच ! चेला, खुद-ब-खुद छैला हो जाता है !
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अपुन ने बहुतों को, चेलों का चेला बनते देखा है
बिना सिर-पैर की बातों पे, उनको हंसते देखा है !
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किसी ने मुस्कुरा के, हमें अपना बना लिया है 'उदय'
अब क्या करें, उसे कुछ कहें, या इंतज़ार करें !!
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किसी ने लाख छिपानी चाही थी, चाहत अपनी
उसकी आँखों ने मगर चुगली कर दी !

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सच ! शब्द पैने हों या न हों, मोटे होने चाहिए
लिखने वाले की शकल पहचानी होनी चाहिए !
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सच ! कल रात तक वो हमारे थे
सुबह सुबह होते हम उनके हो गए !
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हर किसी को हक़ मिला है जोर आजमाईश का
कोई भ्रष्टाचार के सामने, तो कोई पीछे खडा है !
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जिन्दगी में कहीं कोई बंदिशें नहीं थी
मौत ने रहम की गुंजाईश नहीं छोडी !
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लड़ते लड़ते लड़ जायेंगे, मरने से नहीं घवराएंगे
आज नहीं तो कल, देश की सीरत बदल जायेंगे !
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पंदौली दे दे, ले ले के, साहित्यिक मंडली बनाई है
तमगों के समय, आपस में ही पीठ थप-थपाई है !
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किसी की मुस्कुराहट, भा गई है हमें
सच ! जी चाहे है, मुहब्बत कर लें !!
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हम अपने उस्ताद को सलाम करते हैं 'उदय'
उस्तादी ने चेला बन कर जीना सिखाया है !
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सच
! बदलने को तो, रोज बदल रहा है ज़माना
उनका
क्या, जो खुद, खुद को बदलते नहीं है !!
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इन्टरनेटी दौर में भी लोग छिप के बैठे हैं
'खुदा' जाने, क्यूं पर्दे से बाहर नहीं आते !
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जो जीते रहे, सदा सदा से खुद के लिए
कैंसे मान लें, वो निकले हैं हमारे लिए !
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जीते जी दौलत समेटने में उलझे हुए थे
एक चुटकी बजी, मौत ने सुलझा दिया !
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जो व्यवस्था बदलने का दम भर रहे हैं
वो खुद को बदलने से, क्यूं डर रहे हैं !!
 
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हमने कसम खा के पानी पी रक्खा है 'उदय'
दाद देंगे तो उसको, जिसके हम पैर छूते हैं !

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