Saturday, October 15, 2011

नवयौवन कविता

कविता क्या है ?
इस मुद्दे पे विवाद छिड़ गया
साहित्यिक मंच बनते बनते अखाड़ा-सा बन गया
बहुतों ने -
छंद
मात्राएँ
अलंकार
उपमाएं
रूपक
बिम्ब
भाव रूपी
तरह तरह के हथियार उठा लिए
और आपस में ही मारपीट को उतारू हो लिए
यह सब देख कर मैं सन्न रह गया
दर्शक दीर्घा से उठकर
न चाहते हुए भी, मंच पे पहुँच गया
मैंने कहा -
शांत हो जाओ महानुभावो
क्यूं बेवजह 'कविता' के लिए लड़-झगड़ रहे हो
'कविता' क्या है, सुनो मैं बताता हूँ
'कविता' नवयौवना से कम नहीं होती है
जो हर किसी को देखते ही, खुद-ब-खुद भा जाती है
फिर भले चाहे -
नवयौवना का रंग, रूप, नाक, नक्स, चाहे जैसा हो
वो तो देखते ही देखते मन में उतर जाती है
क्या अब भी कोई संशय है
या और भी विस्तार से समझाऊँ
किसी भी 'कविता' का कोई
रंग-रूप, नाक-नक्स, जात-पात, छंद-अलंकार
नहीं होता !
होता है तो बस, नवयौवन और चिर यौवन होता है !!

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